This article is suitable for those Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2 : Meera (मीरा) CBSE Solutions who want to find the solutions of NCERT Solutions for class 10 Hindi 2023-24 Details and Explaind Questions and Answers to the subjects chapter-wise step by steped and easy to understand the method. here we provide all the NCERT Solutions for Class 10 Hindi questions and their Solutions. When doing homework, the article “Solutions of Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2 : Meera (मीरा) are extremely helpful. this article is contained.This article is suitable for those NCERT Solutions for class 10 Hindi 2023-24 who want to find the solutions of NCERT solutions of Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2 : Meera (मीरा) Details and Explaind Questions and Answers to the subjects chapter-wise step by steped and easy to understand the method. here we provide all the NCERT Solutions for Class 10 Hindi questions and their Solutions. When doing homework, the article “Ncert Solutions for Class 10 Hindi” are extremely helpful. this article is contained.
Class 10 Hindi Sparsh Chapter 2 : Meera (मीरा)
मीरा बाई – जीवन परिचय
मीराबाई 16वी शताब्दी की एक कृष्ण भक्त और संत-कवियों में से एक थी। मीराबाई जी जन्म सन 1498 ई. में मध्य प्रदेश के कुड़की, पाली, मेड़तिया के राठौर रत्न सिंह के घर हुआ था मीरा का विवाह मेवाड़, चित्तौड़गढ़ के सिसोदिया राज परिवार में महाराणा सांगा के पुत्र महाराजा भोजराज से हुआ था। विवाह के कुछ समय बाद ही मीरा बाई के पति का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु के बाद मीरा बाई को पति के साथ सती करने का प्रयास किया गया, किन्तु मीरा इसके लिए तैयार नहीं हुईं। पति की मृत्यु पर भी मीरा माता ने अपना श्रृंगार नहीं उतारा, क्योंकि वह श्री कृष्ण को अपना पति मानती थी।
वे विरक्त हो गईं और साधु-संतों की संगति में हरिकीर्तन करते हुए अपना समय व्यतीत करने लगीं। पति के परलोकवास के बाद इनकी भक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। ये मंदिरों में जाकर वहाँ मौजूद कृष्णभक्तों के सामने कृष्णजी की मूर्ति के आगे नाचती रहती थीं। मीराबाई का कृष्णभक्ति में नाचना और गाना राज परिवार को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने कई बार मीराबाई को विष देकर मारने की कोशिश की।
मीराबाई जी की रचनाएं भक्तिभाव से भरी हुई हैं। वे बचपन से ही कृष्ण भक्ति में रहने लगी थी। मीराबाई जी ने अपनी अनेकों रचनाओं में भगवान के प्रति अपनी भक्ति, अटल श्रद्धा और विश्वास को व्यक्त किया है। उन्होंने अपने पति के साथ भक्ति के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया था। इससे पहले भी उन्होंने समाज सेवा और धर्म के कार्यों में अपना समय दिया था। मीराबाई की रचनाएं अत्यंत प्रसिद्ध हैं जिनमें से ‘उपाधि मरुस्थल की मंदाकिनी’ एक है। इसमें सुमित्रानंदन पंतप्रमुख रस विप्रलंभ शृंगार के रस को व्यक्त किया गया है। डॉ नागेंद्र ने उनकी 11 पुस्तकें बताई हैं, जिसमें से ‘स्फुटपद पदावली’ को प्रमाणित माना गया है। मीराबाई की रचनाओं में उनकी अंतरात्मा और उनके विश्वास का विशेष महत्त्व है।
कक्षा 10 हिन्दी स्पर्श
अध्याय 2 : मीरा – पद
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
प्रश्न 1.पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
उत्तर- पहले पद में मीरा ने अपनी पीड़ा हरने की विनती इस प्रकार की है कि हे ईश्वर! जैसे आपने द्रौपदी की लाज रखी थी, गजराज को मगरमच्छ रूपी मृत्यु के मुख से बचाया था तथा भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए ही आपने नृसिंह अवतार लिया था, उसी तरह मुझे भी सांसारिक संतापों से मुक्ति दिलाते हुए अपने चरणों में जगह दीजिए।
प्रश्न 2.दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मीरा श्री कृष्ण को सर्वस्व समर्पित कर चुकी हैं इसलिए वे केवल कृष्ण के लिए ही कार्य करना चाहती हैं। श्री कृष्ण की समीपता व दर्शन हेतु उनकी दासी बनना चाहती हैं। वे चाहती हैं दासी बनकर श्री कृष्ण के लिए बाग लगाएँ उन्हें वहाँ विहार करते हुए देखकर दर्शन सुख प्राप्त करें। वृंदावन की कुंज गलियों में उनकी लीलाओं का गुणगान करना चाहती हैं। इस प्रकार दासी के रूप में दर्शन, नाम स्मरण और भाव-भक्ति रूपी जागीर प्राप्त कर अपना जीवन सफल बनाना चाहती हैं।
प्रश्न 3.मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर-मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का अलौकिक वर्णन किया है कि उन्होंने पीतांबर (पीले वस्त्र धारण किए हुए हैं, जो उनकी शोभा को बढ़ा रहे हैं। मुकुट में मोर पंख पहने हुए हैं तथा गले में वैजयंती माला पहनी हुई है, जो उनके सौंदर्य में चार चाँद लगा रही है। वे ग्वाल-बालों के साथ गाय चराते हुए मुरली बजा रहे हैं।
प्रश्न 4.मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-मीराबाई ने अपने पदों में ब्रज, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती आदि भाषाओं का प्रयोग किया गया है। भाषा अत्यंत सहज और सुबोध है। शब्द चयन भावानुकूल है। भाषा में कोमलता, मधुरता और सरसता के गुण विद्यमान हैं। अपनी प्रेम की पीड़ा को अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने अत्यंत भावानुकूल शब्दावली का प्रयोग किया है। भक्ति भाव के कारण शांत रस प्रमुख है तथा प्रसाद गुण की भावाभिव्यक्ति हुई है। मीराबाई श्रीकृष्ण की अनन्य उपासिका हैं। वे अपने आराध्य देव से अपनी पीड़ा का हरण करने की विनती कर रही हैं। इसमें कृष्ण के प्रति श्रद्धा, भक्ति और विश्वास के भाव की अभिव्यंजना हुई है। मीराबाई की भाषा में अनेक अलंकारों जैसे अनुप्रास, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा, उदाहरण आदि अलंकारों का सफल प्रयोग हुआ है।
प्रश्न 5.वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं?
उत्तर – मीरा श्रीकृष्ण को पाने के लिए उनकी चाकर (नौकर) बनकर चाकरी करना चाहती हैं अर्थात् उनकी सेवा करना चाहती हैं। वे उनके लिए बाग लगाकर माली बनने तथा अर्धरात्रि में यमुना तट पर कृष्ण से मिलने व वृंदावन की कुंज गलियों में घूम-घूमकर गोविंद की लीला का गुणगान करने को तैयार हैं।
(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए- प्रश्न 1. हरि आप हरो जन री भीर ।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर ।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर ।
उत्तर-काव्य-सौंदर्य-
भाव-सौंदर्य – हे कृष्ण! आप अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करो। जिस प्रकार आपने चीर बढ़ाकर द्रोपदी की लाज रखी, व नरसिंह रूप धारण कर भक्त प्रहलाद की पीड़ा (दर्द) को दूर किया, उसी प्रकार आप हमारी परेशानी को भी दूर करो। आप पर पीड़ा को दूर करने वाले हो ।
शिल्प-सौंदर्य-
• भाषा – गुजराती मिश्रित राजस्थानी भाषा
• अलंकार – उदाहरण अलंकार
• छंद – “पद”
• रस – भक्ति रस
प्रश्न 2.बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर । दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर ।
उत्तर- भाव पक्ष-प्रस्तुत पंक्तियों में मीराबाई अपने आराध्य श्रीकृष्ण का भक्तवत्सल रूप दर्शा रही हैं। इसके अनुसार श्रीकृष्ण
ने संकट में फँसे डूबते हुए ऐरावत हाथी को मगरमच्छ से मुक्त करवाया था। इसी प्रसंग में वे अपनी रक्षा के लिए भी श्रीकृष्ण से प्रार्थना करती हैं।
कला पक्ष
- राजस्थानी, गुजराती व ब्रज भाषा का प्रयोग है।
- भाषा अत्यंत सहज वे सुबोध है।
- तत्सम और तद्भव शब्दों का सुंदर मिश्रण है।
- 4.दास्यभाव तथा शांत रस की प्रधानता है।
- भाषा में प्रवाहत्मकता और संगीतात्मकता का गुण विद्यमान है।
- सरल शब्दों में भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।
- दृष्टांत अलंकार का प्रयोग है। ।
- ‘काटी कुण्जर’ में अनुप्रास अलंकार है।
प्रश्न 3.चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची ।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनू बाताँ सरसी ।
उत्तर-भाव-सौंदर्य-इन पंक्तियों में मीरा दासी बनकर अपने आराध्य श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं। इससे उन्हें प्रभु स्मरण, भक्ति रूपी जागीर तथा दर्शनों की अभिलाषा रूपी संपत्ति की प्राप्ति होगी अर्थात् श्रीकृष्ण की भक्ति को ही मीरा अपनी संपत्ति मानती हैं।